विपक्ष का भय बन गया

कहावत है कि चोर को पकड़ने के लिए पुलिस को चोर भी बनना पड़ता है। और यही बात आज के भारतीय राजनीतिक स्थिति के लिए जायज लग रहा है। मोदी सरकार जिस दावे, वादे, इरादों के साथ सत्ता में आई थी और वो भी प्रचंड बहुमत के साथ, जिसके वजह से मोदी सरकार विपक्ष को हाशिए पर डाल दिया था क्योंकि विपक्ष मोदी सरकार के दावे-वादे से अलग था। मोदी सरकार जिस हिंदुत्व, तथाकथित राष्ट्रवाद के  मुद्दों के साथ सत्ता पर काबिज हुआ था आज उसी मुद्दों के साथ विपक्ष मोदी सरकार ऐसे घेर रही है जैसे चोर पुलिस से चारो तरफ से घिर चुकी है और बस कहने के लिए बाहर निकलने का प्रयास कर रही है ताकि ये कह पाए कि जी हम तो कोशिश किये थे।
        आज विपक्ष उसी हिंदुत्व- राष्ट्रवाद का मुद्दा उठा रहा जो पहले भाजपा के लिए रामबाण हुआ करता था। आज विपक्ष के नेता मंदिर जाए रहे है, हिन्दू की बात करते है, सेना की बात करते है। मोदी सरकार इन मुद्दों से अब डर गई है । विपक्ष ने राफेल पर सरकार को घेरा है तो अब सीबीआई  को लेकर घमासान तेज कर दिया है। मोदी सरकार की अब विपक्ष का भय हो गया है। ये वही मोदी सरकार है जो कभी विपक्ष को भाव तक नहीं देता था लेकिन अब जैसे ही विपक्ष का कोई नेता मोदी सरकार पर सवाल दागता है सरकार का कोई न कोई मंत्री-नेता जवाव देने के लिए आ जाते है। यही तो लोकतंत्र की खूबसूरती है।
   अरुण शौरी ने तीन कारण भी बता दिए है मोदी सरकार के डरने का। मतलब साफ़ है कि भय तो है। देर से ही सही लेकिन दुरुस्ती के साथ तो आया।

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