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सर्वे भवन्तु सुखिन: भारतीय रूप

देश क्या होता है? राज्य क्या होता हैं? हम भारतीय हैं। हमारी संस्कृति "सर्वे भवन्तु सुखिन" वाली रही है। लगता है कि इस संस्कृति को हम भूल रहे है। विश्व में कई सारी सभ्यताओं के अस्तित्व है। भारत की भी अपनी सभ्यता रही है, और है भी जिसको हम सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से जानते है।  जब हमारी सभ्यता कहती है कि पूरा विश्व सुखी रहे है। फिर हम कौन होते है ये कहने वाले कि पाकिस्तान का मुर्दाबाद हो, चीन का मुर्दाबाद हो, अमेरिका का मुर्दाबाद हो? हम भारत के नागरिक है। जो हमे जन्म से मिला है। और भारत का नागरिक होने के नाते मुझे अपने देश से प्यार है। देश के लिये सम्मान है। जिसको कोई बदल नहीं सकता।    देश- राज्य  आख़िर अस्तित्व में क्यों है? ऐसा तो नहीं है कि देश पहले आया और अपने लोगों को बोला कि ये तुम्हारा देश है, वो उसका देश है। आख़िर, देश को सीमा के अंदर तो हमने बाँधा है। भारत में पैदा हुये तो भारतीय और पाकिस्तान में पैदा हुए तो पाकिस्तानी या अमेरिका में पैदा हुए तो अमेरिकी। चीन में रहने वाले लोगों की तारीफ़ कर दिया तो चीन की तरफ़दारी करता है, ऐसा बोलने लगते है लोग। अगर पाकिस्तान की कर ...

Belt and Road Initiative And Indian perceptions

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“वन बेल्ट वन रोड” और भारतीय दृष्टिकोण  नवीन कुमार  (राजनीतिक विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय)                                        सारांश       यह शोध पत्र चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना “ बेल्ट और रोड”(BRI Initiative) पहल की मूलभूत विचारों की तथा भारतीय दृष्टिकोण की चर्चा करता है। “ बेल्ट और रोड” पहल के तहत दो योजनाओं की बात की जा रही हैं। (क) रेशम सड़क आर्थिक पट्टी( SREB) जो चीन को मध्य एशिया से होते हुए मध्य-पूर्व और यूरोप को जोड़ेगा। (ख) 21वीं सदी की समुद्री रेशम मार्ग(MSR) जो कि चीन के ‘Fuzhou’ शहर से शुरू होकर मलेशिया, हिन्द महासागर होते हुए मध्य-पूर्व देशों को जोड़ते हुए अफ्रीका को छूते हुए यूरोप तक जाता है। यह परियोजना एशिया, यूरोप और अफ्रीका को राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभावित कर सकता है। हिन्द महासागर में स्थित भारत को यह परियोजना अनेक स्तर पर प्रभावित कर सकता हैं। भारत की उभरती अर्थव्यवस्था दक्षिण एशिया के विकास में एक महत्वपू...

डर भी ऐसा क्या?

कुछ दिन से भारतीय राजनीति फ़िर से गरमाई हुई है। लगता है कि मौसम का गर्मी तो गया लेकिन राजनीति की गर्मी उसकी जगह ले रहा है। भाई घटना ही कुछ ऐसी घटी है । मैं जानबूझकर घटना शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूँ। घटना सोच विचार कर किया जाता है। और आज सीबीआई के अंदर कुछ यही हो रहा है। जो पहले साहेब के लिए मुख्य हथियार था आज उसी पर साहेब रात के दो बजे  दस्तक़ देते है।     अरे भाई हम संविधान...संविधान करते रहे और साहेब उसी पर चोट कर गए। आप सोचिये की रात के दो बजे ऐसी कौन सी फुलझड़ी झड़ने लगी थी जिसको साहेब रात के दो बजे सीबीआई हेडक्वार्टर जाके चुनना चाहते थे? अरे भाई सवाल तो करोगें न कि ऐसी कौन सी आफत आ गई थी जिसके वजह से साहेब की सत्ता खतरे में पर गई थी या फ़िर से पाकिस्तान ने हमला कर दिया था जिसके लिये साहेब को रात के दो बजे सीबीआई जाना पड़ता है।    सुनने में आया है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा राफेल पर कागज़ इकट्ठे कर रहे थे । सरकार से पूरा हिसाब मांगने वाले थे। कहीं यही तो मुख्य वजह तो नहीं जिसके वजह से साहेब रात के दो बजे सीबीआई पहुच गए। इसके अलावा मीडिया में सुनने को मिला कि रा...

विपक्ष का भय बन गया

कहावत है कि चोर को पकड़ने के लिए पुलिस को चोर भी बनना पड़ता है। और यही बात आज के भारतीय राजनीतिक स्थिति के लिए जायज लग रहा है। मोदी सरकार जिस दावे, वादे, इरादों के साथ सत्ता में आई थी और वो भी प्रचंड बहुमत के साथ, जिसके वजह से मोदी सरकार विपक्ष को हाशिए पर डाल दिया था क्योंकि विपक्ष मोदी सरकार के दावे-वादे से अलग था। मोदी सरकार जिस हिंदुत्व, तथाकथित राष्ट्रवाद के  मुद्दों के साथ सत्ता पर काबिज हुआ था आज उसी मुद्दों के साथ विपक्ष मोदी सरकार ऐसे घेर रही है जैसे चोर पुलिस से चारो तरफ से घिर चुकी है और बस कहने के लिए बाहर निकलने का प्रयास कर रही है ताकि ये कह पाए कि जी हम तो कोशिश किये थे।         आज विपक्ष उसी हिंदुत्व- राष्ट्रवाद का मुद्दा उठा रहा जो पहले भाजपा के लिए रामबाण हुआ करता था। आज विपक्ष के नेता मंदिर जाए रहे है, हिन्दू की बात करते है, सेना की बात करते है। मोदी सरकार इन मुद्दों से अब डर गई है । विपक्ष ने राफेल पर सरकार को घेरा है तो अब सीबीआई  को लेकर घमासान तेज कर दिया है। मोदी सरकार की अब विपक्ष का भय हो गया है। ये वही मोदी सरकार है जो कभी विपक्ष ...